शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

आलेख"सिक्किम की जैविक खेती" -प्रज्ञा शुक्ला

आलेख"सिक्किम की जैविक खेती" -प्रज्ञा शुक्ला हमारे देश में खेती हमारी प्रमुख आजीविका है। हमारे देश के बहुत सारे लोग खेती के द्वारा ही अपनी भूमिका को सुनिश्चित करते हैं। जब खेती की बात आती है तो उसके साथ कई चीजें और जुड़ जाती है जैसे जमीन, फसलें, बीज, सिंचाई, निराई, गुड़ाई, जुताई तथा उन फसलों से प्राप्त अनाज का रखरखाव। इन सबके अलावा खेती में एक और महत्वपूर्ण इसका अंग है खाद। हम जानते हैं की खाद की दो किस्में हमारे देश मे प्रयोग की जाती हैं, एक देशी खाद तथा दूसरी रासायनिक खाद। जब हम रासायनिक खाद की बात करते हैं तो इसमें अलग-अलग तरह के उर्वरक आते हैं, जिनके माध्यम से हम अधिकाधिक उपज ले पाते हैं । उपज बढ़ाने के लिए खेतों में हम उर्वरकों का तो प्रयोग करते ही हैं, इसके साथ ही साथ फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों का भी प्रयोग करते हैं । हमारे द्वारा खेती में उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग अनाज को और इसके असर को कमजोर कर देता है। यह अनाज कई तरह से हमारे लिए कठिनाई उत्पन्न करने वाला भी हो जाता है। ऐसे समय में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी की भारत में सन 1960 में हरित क्रांति की शुरुआत से पहले खेती में किन-किन चीजों का प्रयोग किया जाता था। बढ़ती हुई जनसंख्या के उदरभरण एवम पोषण के लिए अनाज की अधिकाधिक उपज लेने हेतु हमारे देश में 1960 में हरित क्रांति शुरू की गई। हरित क्रांति की आवश्यकता के लिए उस समय की सरकार ने देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के आधार पर आवश्यकता अनुसार अनाज की जरूरतों पर ध्यान दिया। देश में परती पड़ी जमीन का शोधन करने के साथ-साथ उपज योग्य बनाने और हरियाली फैलाने पर काम किया गया। फल सब्जियों और अनाज की उपयोगिता ,उपज और खपत को देखते हुए हरित क्रांति को आगे बढ़ाने का काम किया गया ।इसी क्रम में पौधारोपण भी आता है । धरती की हरियाली हमेशा दुनिया में स्मृति लाती है। यह समृति मानव जाति के साथ-साथ संपूर्ण प्रकृति के लिए अत्यंत आवश्यक है। सिक्किम प्रदेश में हरित क्रांति की शुरुआत के साथ उर्वरकों का और कीटनाशकों का क्रमशः प्रयोग किया जाने लगा। जिससे हम उपज तो ज्यादा ले पाए , हमारी धरती की उर्वरक क्षमता या उपज की क्षमता भी बढ़ी लेकिन वह अपने साथ बहुत सारी कठिनाइयों को और परेशानियों को भी लेकर आई। आज अनेक तरह की विसंगतियों और विषमताओं को देखते हुए खेत में देसी गोबर की और गोबर से बने अन्य कंपोस्ट खादो के प्रयोग पर जोर देते हुए कीटनाशक और उर्वरक के प्रयोग के बगैर उगाई गई सब्जियां,अनाज और फल की मांग धीरे-धीरे बढ़ने लगी। फल सब्जियां और अनाज की बढ़ती हुई मांगने वहां के किसानों को पूरी तरह आश्वस्त कर दिया कि उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी और जैविक खेती के रूप में उनके द्वारा किया गया कार्य उन्हें समृद्ध बनाता जाएगा। जब हम किसी फसल और सब्जी में उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करते और उसे देसी गोबर की खाद या अन्य कंपोस्ट खादो से अनाज का उपज लेना प्रारंभ करते हैं तो खेती के इस स्वरूप को जैविक खेती के नाम से जाना जाता है। जैविक खेती आज के युग की मांग बनती जा रही है । हमारे देश में अलग अलग तरीके से सब्जियों, फलों और अनाजों के उत्पादन में बिना कीटनाशक और उर्वरक का प्रयोग किए उनके जैविक रूप से उत्पादन लेने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। बड़े ही खुशी की बात है कि सिक्किम हमारे देश भारत का प्रथम ऐसा प्रदेश है जिसे वर्ष 2016 में पूरे तौर से जैविक खेती वाला प्रदेश घोषित किया गया । सिक्किम की प्रदेश सरकार ने जैविक खेती के अभियान की सफलता को निश्चित करने हेतु उसी समय सिक्किम में बाहर से किसी भी तरह के गैरजैविक खाद्य पदार्थों को लाने लेजाने पर भी पूरी तरह पाबंदी लगा दी थे। अनाजकी जरूरत हमारी सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में शामिल है। 1960 ईशवी में हमारे देश भारत में हुई हरित क्रान्ति के माध्यम से हमारे देश ने अपने उपयोग के लिए पर्याप्त अनाज भंडार जमा कर लिया । लेकिन इसी भंडारण के साथ हमारे देश भारत में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का भी प्रयोग आम हो चुका था। हरित क्रांति के आगमन से हमारे देश में फल,सब्जियों एवम अनाज का उत्पादन तो बढ़ गया था लेकिन इससे हमारी खेती योग्य जमीन के साथ भूजल, वायु समेत सारे पर्यावरण पर असर पड़ना भी प्रारंभ हो गया था। हमारे देश में हुए इस परिवर्तन के दौर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना अति आवश्यक हो गया। हमारे देश भारत का हिमालयी प्रदेश सिक्किम प्रदेश विश्व का ऐसा पहला प्रदेश बन गया है जहां पूर्ण रूप से जैविक खेती होती है। यह हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि हमारे देश का एक प्रदेश पूरी तरह से जैविक खेती को अपनाने वाला बन गया और इसी के साथ साथ वह अपने यहां की मांग को पूरा करने के साथ-साथ विश्व की जरूरतों को पूरा करने वाला एक प्रमुख भारतीय प्रदेश बन कर उभरा। आज सिक्किम प्रदेश पूरे संसार के लिए जैविक खेती के क्षेत्र में एक अनुकरणीय क्षेत्र बन गया है। खेती के परंपरागत तरीकों को अपनाने के इस अपार सफलता के लिए सिक्किम प्रदेश को इसकी सर्वश्रेष्ठ नीतियों और उनके क्रियान्वयन के लिए ऑस्कर पुरस्कार से भी विभूषित किया जा चुका है। प्राप्त सूचना के अनुसार भारत का पूर्वोत्तर हिमलयी प्रदेश सिक्किम विश्व खेती के तुलना में लगभग 75 000 हेक्टेयर भूमि पर गैर रासायनिक खेती अर्थात जैविक खेती को अपनाकर अपने देश भारत और संसार का प्रथम पूर्ण जैविक प्रदेश बनने का गौरव प्राप्त किया है।इस महत्वपूर्ण गौरव को हासिल करने के बदले इस भारतीय प्रदेश सिक्किम को 15 अक्टूबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र की ख्यातिलब्ध एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन ने भारतीय प्रदेश सिक्किम को उसकी सर्वश्रेष्ठ नीतियों और उनके अनुपालन के लिए ऑस्कर पुरस्कार फ्यूचर पॉलिसी अवार्ड (FPA) दिया गया है। यह पुरस्कार कृषि तंत्र और निरंतर खाद्य प्रणालियों को उत्साहित करने के लिए प्रदान गया है। सिक्किम प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। इस महत्वपूर्ण पुरस्कार को हासिल करने के लिए दुनिया के 51 देशों में को उनके भूभागों के आधार पर विभिन्न प्रदेशों/राज्यों/शहरों को नामांकित किया गया था। सिक्किम प्रदेश के अनुभवो से जानकारी मिलती है कि शत प्रतिशत जैविक खेती को साकार करना एक सपना नहीं है बल्कि यह वास्तविकता की धरातल पर उतरा सकता है। सन 2003 में सिक्किम को जैविक प्रदेश घोषित करने के संकल्प के 15 साल बाद सन 2016 में देश का पहला जैविक प्रदेश बनने का गौरव हासिल हो पाया था। सिक्किम की राजधानियों हुए गंगटोक समिट में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा इसकी विधिवत औपचारिक घोषणा की गई थी। इस घोषणा से लगभग 66 000 से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचा है। इसके साथ ही साथ शत प्रतिशत जैविक राज्य बनने से सिक्किम प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को भी काफी लाभ पहुंचा है। यहां वर्ष 2014 से वर्ष 2015 के मध्य सैलानियों की संख्या में पचास प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी अंकित की गई है। वास्तव में सिक्किम प्रदेश नें भारत देश के दूसरे कृषि प्रधान प्रदेशों और विश्व के अनेक देशों के लिए एक मिसाल प्रस्तुत की है। विश्व की शीर्ष संस्था संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण एजेंसी ने इसके इस कदम को भूख और निर्धनता से लड़ने वाले कदम के रूप में चिह्नित किया है। सिक्किम प्रदेश ने काफी लंबे समय तक खेती योग्य जमीन की उर्वरता बनाए रखने, पर्यावरण और पारिस्थितिकीय व्यवस्था के संरक्षण, सुरक्षा, स्वस्थ जीवन और हृदय संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे को कम से कम करने के लिए इस उद्देश्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया था। इस तरह की घोषणा से पूर्व सिक्किम प्रदेश के किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करते थे। इस संबंध में पहले चरण के रूप में बनावटी उरवरकों और कीटनाशकों पर रोक लगाया गया। खेती के क्षेत्र में इनके प्रयोग पर पूरी प्रतिबंध का कानून बनाया और लागू किया गया। इस कानून के न मानने पर 1 लाख रुपये तक के अर्थ दंड और 3 महीने तक की कैद अथवा दोनों का ही प्रावधान किया गया था। सिक्किम की राज्य सरकार ने राज्य में जैविक राज्य बोर्ड का गठन किया और देश विदेश की अनेक कृषि विकास और शोध से जुड़ी संस्थाओं के साथ अपनी साझेदारियां की। इसमें विश्व की प्रमुख स्विटजरलैंड की जैविक अनुसंधान संस्थान फिबिल भी शामिल है। सिक्किम राज्य ने आर्गेनिक मिशन बनाने के साथ साथ क्रमशः आर्गेनिक फार्म स्कूल भी बनाए। प्रदेश सरकार के द्वारा घर-घर केंचुआ खाद इकाई, पोषण प्रबंधन और ईएम तकनीकि, एकीकृत कीट प्रबंधन तथा मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाओं की शुरुआत की गई। इस कदम के साथ ही साथ अम्लीय भूमि उपचार, जैविक पैकिंग से लेकर प्रमाणीकरण तक की सभी वस्तुओं की उपलब्धता और इनके बारे में जागरुकता संबंधी कार्यक्रम बड़े पैमाने पर चलाए गए। आज सिक्किम प्रदेश दुनिया का पहला जैविक प्रदेश है। यह सिक्किम के साथ-साथ भारत के लिए भी गर्व की बात है। सिक्किम प्रदेश ने अपने प्रदेश के निवासियों के साथ साथ भारतवर्ष के कृषि मानचित्र में स्वयं के लिए एक गौरवपूर्ण स्थान हासिल किया। सिक्किम प्रदेश की उपज में प्रमुख रूप से बड़ी इलायची, हल्दी, अदरक, ऑफ-सीजन सब्जियां, फूल, सिक्किम नारंगी, किवी फल, कूटू, धान, मक्का और जौ का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। चूंकि सिक्किम प्रदेश के किसान कभी भी रसायनों पर आवश्यकता से अधिक निर्भर नहीं रहे इसलिए उनके द्वारा जैविक कृषि अपनाने से होने वाले उपज में किसी तरह की कोई बड़ी कमी नहीं आई। वैसे भी सिक्किम में पूर्व में रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों का उपयोग 8 से 12 किलो प्रति हैक्टेयर ही था। जैविक उत्पादों की दुनिया भर में काफी मांग है। बाजार में जैविक उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलता है। स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों द्वारा जैविक उत्पादों को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। बीमारियों से बचाव के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन पद्धति के विकास के लिए पूर्वक युक्त खेती से बचते हुए जैविक खेती का प्रयोग और जैविक उत्पादों को अपने जीवन में अपनाने के लिए मानव जाति ने समग्र प्रयास किया जिसका ज्वलंत उदाहरण सिक्किम प्रदेश में देखा जा सकता है। देश में कुल जैविक कृषि उत्पादन 12.40 लाख टन की तुलना में सिक्किम प्रदेश में लगभग 80 हजार टन कृषि उत्पादों का उत्पादन होता है। है। आज देश में करीब 35 लाख हैक्टेयर जमीन में जैविक खेती हो रही है। आज भारत, दुनिया में जैविक खेती के क्षेत्र में एक नई ताकत बनकर उभर रहा है। जैविक खेती के माध्यम से देश में पर्यावरण संरक्षण होने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता देखा जाता रहा है। जैविक खेती से न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ती है बल्कि सूखे की समस्या से भी छुटकारा मिल जाती है। जैविक खेती से मित्र कीट भी संरक्षित रहते हैं। घटते हुए भू-जलस्तर के लिए जैविक खेती एक वरदान के समान है। इतना ही नही जैविक खेती अपनाकर किसान कृषि में आने वाली लागत को काफी हद तक कम कर सकता है। भारत परंपरागत रूप से दुनिया का सबसे बड़ा जैविक खेती करने वाले देश के रूप में जाना जाता है। वास्तव में भारत की पहचान इसकी परंपरागत खेती ही बहुत दिनों तक बनी रही। हम बचपन से ही देखते आ रहे हैं कि हर जगह भारत को कृषि प्रधान देश के रूप में मान्यता मिलती रही है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमने उर्वरकों का प्रयोग बहुत देर से शुरू किया। हमारे देश के प्राकृतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आधार जैविक खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं। जन जागरूकता, सही नीतियों के निर्माण और उनके उचित अनुपालन के द्वारा ही जैविक खेती के क्षेत्र में भारत काफी प्रगति कर सकता है तथा विकसित देशों की मांगो को आवश्यकतानुरूप पूरा करके काफी फायदा भी कमा सकता है। इसके अलावा इससे सिक्किम प्रदेश में पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा आशानुरूप बढ़ावा मिलेगा। राज्य में ऐसे रिसॉर्ट्स बनाए गए हैं, जहां पर्यटक उनके किचन गार्डन से ताजा जैविक साग-सब्जियां आदि तोड़कर, पकाकर ताजा खाना खा सकते हैं। और इस तरह सिक्किम राज्य के लोग अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ मनुष्य के जीवन को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। भारत देश के लिए यह अत्यंत गौरव की बात है। प्रज्ञा शुक्ला आत्मजा-डा जे एस शुक्ल 65 डी डीडीए फ्लैट्स मानसरोवर पार्क शाहदरा दिल्ली 110032

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