टूट गई जो एक बार तो ,
नींद नहीं आई दोबारा .
जेहन में किस्तें बैठी हैं ,
घर की, मन की औ' जीवन की .
ब्याज बड़ा, पूँजी छोटी है ,
जीवन रूपी मुक्त गगन की .
नया माह आते ही आती ,
कुदरत की काई दोबारा .
झंझावाती शाम बताती ,
दिन के अनुमानों की बातें .
कामगार की प्रत्याशा को ,
छेंड़ रही तानों की बातें .
नए सवेरे की आशा में ,
हसरत-सी छाई दोबारा .
जिद कर करक बच्चा हारा,
नई साइकिल नज़र न आई .
आम आदमी के जीवन में ,
मँहगाई ने सेंध लगाई .
कीमत चीजों की सुन सुनकर,
सुरसा याद आई दोबारा .
नींद नहीं आई दोबारा .
जेहन में किस्तें बैठी हैं ,
घर की, मन की औ' जीवन की .
ब्याज बड़ा, पूँजी छोटी है ,
जीवन रूपी मुक्त गगन की .
नया माह आते ही आती ,
कुदरत की काई दोबारा .
झंझावाती शाम बताती ,
दिन के अनुमानों की बातें .
कामगार की प्रत्याशा को ,
छेंड़ रही तानों की बातें .
नए सवेरे की आशा में ,
हसरत-सी छाई दोबारा .
जिद कर करक बच्चा हारा,
नई साइकिल नज़र न आई .
आम आदमी के जीवन में ,
मँहगाई ने सेंध लगाई .
कीमत चीजों की सुन सुनकर,
सुरसा याद आई दोबारा .
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