"समीक्षा"
"भावों की सकारात्मक अभिव्यक्ति: यादों के इंद्रधनुष"-डॉक्टर जय शंकर शुक्ला
यादों के इंद्रधनुष कवि एवं साहित्यकार सुरेश पांडे जी की बहुप्रतीक्षित पुस्तक है । यह पुस्तक अपने लेखक के भावों, विचारों एवं क्रियाकलापों की साक्षी दस्तावेज है,ऐसा मेरा मानना है। वस्तुत: सुरेश पांडे अपने जीवन काल में जिए गए काल खंडों को शब्दों के माध्यम से पुस्तक आकार देने की इस प्रक्रिया में बहुत अरसे से लगे हुए हैं। इसमें इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि ने इन्हें भरपूर सहयोग किया। संस्कारवान परिवार में जन्म लेने और दादाजी - दादीजी, ताऊजी- ताईजी एवं माताजी-पिताजी के आशिर्वाद तथा पूण्य के फलस्वरूप सुरेश पांडे ने अपने जीवन भर में जिए गए सार्थक पक्षों को लेखन रूप में सामने लाने का जो महत्वपूर्ण कार्य किया है, वह विलक्षण है, अनुकरणीय है एवं अविस्मरणीय है। वास्तव में यह पुस्तक अपने आप में पांडे जी के लगभग पूरे जीवन काल का एक आईना है, जिसको पढ़ने पर उनका जीवन, जीवन के सत्य, जीवन के विविध पक्ष तथा उनसे जुड़े हुए लोग शब्दों के माध्यम से साकार हो उठते हैं। मेरे अपने मतानुसार इस पुस्तक को एक बार पढ़ना शुरू कर देने पर इसमें पढ़वा लेने का आग्रह है। यह मेरा दावा है कि आप एक बार इसको पढ़ना शुरू कर के अंत तक पढ़े बिना नहीं रह सकते । एक एक शब्द संबंधित रूप से इतने आकर्षक हैं कि वह पाठकों को बांध लेते हैं। आलोचकों हेतु बहुत ज्यादा मैटर नहीं देते तथा शोधार्थियों के लिए नया रास्ता खोलते हैं।
व्यक्तिगत तौर पर अगर पूछा जाए तो यादों के इंद्रधनुष में जीवन के, एक संपूर्ण कालखंड की यात्रा को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया गया है, जिसे पाठक जब भी पढ़ता है तो वह स्वयं उस यात्रा में अपने आप को पाता है। भाव, विचार, शब्द, और उन्हें कहने के तरीके इन सब में सुरेश पांडे बहुत ही विशिष्ट तरीके से आगे बढ़ते हुए दिखाई देते हैं। उनकी अपनी सोच, लोगों के प्रति उनका व्यवहार तथा उनके दायित्व इस पुस्तक में परिलक्षित होते हैं। लेखक अपने जीवन काल में जिए हुए पक्षों को जब भी कभी लेखन में लेकर आता है तो निश्चित रूप से समाज को कुछ नया देने की स्थिति तक स्वयं को लेकर जाने का आग्रह ही होता है।
उत्तराखंड के पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं दिल्ली में जन्म लेने वाले सुरेश पांडे वहां से स्टॉकहोम स्वीडन की यात्रा में जिए गए जीवन के पक्षों का बहुत ही अच्छी तरह विवरण और विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं, जो उनके जीवन के विभिन्न भावों को उद्घाटित करता है। यादों के इंद्रधनुष पुस्तक के लेखक का लेखन अपने आप में बहुविध है विविध वर्णी इस लेखन में लेखक ने जी उनके विभिन्न पक्षियों को अपनी लेखनी से चरितार्थ किया है यहां पर लेखक के दृष्टिकोण को और उसके किसी भी घटना पर तटस्थ टिप्पणी को बड़ी ही सतर्कता से प्रस्तुत किया देखा जा सकता है लेखक सकारात्मक है। अपने विचारों के प्रति और उसको उन्हीं रूप में उसने व्यक्त किया है। यह किताब बहुत सारे मामलों में एक ऐसी बानगी प्रस्तुत करता है,जो आने वाले समय में एक मिसाल कायम करेगी।
यादों के इंद्रधनुष पुस्तक में अध्याय योजना के अंतर्गत एक निरंतरता को देखा जा सकता है। भारतीय परिवेश में घटी घटनाओं को एक क्रमागत स्थितियों में व्यक्त करते हुए लेखक सुरेश पांडे जीवन में आने वाले मित्रों सहयोगियों के प्रति अपने विचारों को बड़े सजगता से आलेखन किया है। लेखक परिवार नामक संस्था में बहुत ही समग्रता से अपना विश्वास रखता है।और उसके आलेखन में यह बात ध्वनित भी होती है। वह अपने विचारों में भाव में परिवार को पहले नंबर पर रखते हैं।
यादों के इंद्रधनुष पुस्तक की रचना में प्रयोग किए गए तथ्य पूरी तरह संदर्भित हैं। विचार पूरी तरह संश्लिष्ट हैं। और लेखक की भाषा प्रांजल संस्कृत निष्ठ है। आम बोलचाल की भाषा को लेखक ने कहीं-कहीं पुस्तक में स्थान दिया है लेकिन ज्यादातर पुस्तकों की रचना मानक भाषा से जोड़ करके एक मानदंड का प्रयोग किया है। मैं यादों के इंद्रधनुष पाठ की रचना के लिए इस पाठ के लेखक कवि साहित्यकार सुरेश पांडे जी को हृदय से साधुवाद देता हूं। और अपेक्षा करता हूं कि आने वाले दिनों में वह इस तरह की अन्य पुस्तकों के सृजन में संलग्न रहेंगे उनकी लेखन प्रतिभा और सृजन धर्मिता को मैं नमन करता हूं बहुत-बहुत साधुवाद।
-डॉक्टर जय शंकर शुक्ला
भवन संख्या-49,पद संख्या-6,
बैंक कॉलोनी,मंडोली, दिल्ली-110093
drjayashankarshukla@yahoo.in
बहुत ही तथ्य परक संवाद
जवाब देंहटाएंअतुलनीय
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
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